आखिर बुरे राजा के राज्य में भला जनता कैसे सुखी रह सकती है। बुरे मित्र से भला क्या सुख मिल सकता है। वह और भी गले की फांसी सिद्ध हो सकता है।
बुरी स्त्री से भला घर में सुख शांति और प्रेम कैसे रह सकता है। घर तो नर्क बन जायेगा। रात-दिन कलह, नाना प्रकार के क्लेश होंगे।
इसी प्रकार बुरे शिष्य को गुरु लाख पढ़ाये पर ऐसे शिष्य पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ सकता है। चिकने घड़े पर पानी डालना है। अतएव जो जैसा है, वैसा ही रहेगा। बुराई को अच्छाई में बदलना मुश्किल है। सर्प किसी कीमत पर अमृत नहीं उगलेगा, जब भी उगलेगा वह विष ही उगलेगा।
बुरी स्त्री से भला घर में सुख शांति और प्रेम कैसे रह सकता है। घर तो नर्क बन जायेगा। रात-दिन कलह, नाना प्रकार के क्लेश होंगे।
इसी प्रकार बुरे शिष्य को गुरु लाख पढ़ाये पर ऐसे शिष्य पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ सकता है। चिकने घड़े पर पानी डालना है। अतएव जो जैसा है, वैसा ही रहेगा। बुराई को अच्छाई में बदलना मुश्किल है। सर्प किसी कीमत पर अमृत नहीं उगलेगा, जब भी उगलेगा वह विष ही उगलेगा।
आपका ब्रह्मचारी अनुभव आर्यन्
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