गुरुवार, 2 जून 2016

सुविचार भाग 4

पशु के लिए झूंठ बोलने वाला पाँच, गाय के लिए दस, घोड़े के लिए सौ, व मनुष्य के लिए झूंठ बोलने वाला अपनी 100 पीढ़ियों को नरक में धकेलता है।  सोने के लिए झूंठ बोलने वाला भूत व भविष्य की सभी पीढ़ियों को नरक में गिराता है।  
पृथ्वी व स्त्री के लिए झूंठ बोलने वाला अपना सर्वनाश ही कर लेता है अतः आप भूमि अथवा स्त्री के लिए कभी भी झूंठ न बोलें।  
-विदुर नीति 

हे विद्वान मनुष्यों तुम लोग जिस वेद जानने वाले परमेश्वर ने वेद विद्या प्रकाशित की है उसकी उपासना करके उसी वेद विद्या को जानकर और क्रिया काण्ड का अनुष्ठान करके सब का हित संपादन करना चाहिए क्योंकि वेदों के विज्ञानं के बिना तथा उसमे कहे जो काम हैं उनके किये बिना मनुष्यों को कभी सुख नहीं हो सकता वेद विद्या से जो सबका साक्षी ईश्वर देव है उसको सब जगह व्यापक मानकर नित्य धर्म में रहें।
- यजुर्वेद।2।21

जो हवि अच्छी प्रकार से शुद्ध किया हुआ यज्ञ के निमित्त अग्नि में छोड़ा जाता है वह अंतरिक्ष में वायु जल व सूर्य की किरणों के साथ मिलकर इधर उधर फैलकर आकाश में ठहरने वाले सब पदार्थों को दिव्य करके अच्छी प्रकार प्रजा को सुखी करता है।  इससे मनुष्यों को उत्तम सामग्री और उत्तम उत्तम साधनों से उक्त तीन प्रकार के यज्ञ का नित्य अनुष्ठान करना चाहिए।  

- यजुर्वेद।2।22


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