सोमवार, 22 अप्रैल 2019

सोशल मीडिया शिविर



ॐ 
 मैंने ५ तारीख २०१९ अप्रैल को ट्विटर पर देखा कि बाबा रामदेव जी के यहाँ योगपीठ में सोशल मीडिया शिविर होने वाला है।  मैंने भी अप्लाई कर दिया ऑनलाइन।  मैं किसी भी प्रकार से अपने देश, संस्कृति की सेवा करना चाहता था और यह भी चाहता था कि अपने क्षेत्र में ही रहकर मैं कंप्यूटर के माध्यम से देश सेवा कर सकूँ।  अति उत्तम मौका था।  ८ तारीख को मेरे पास फ़ोन आ गया कि १९ अप्रैल को आ जाओ।  हालांकि मैंने भारत स्वाभिमान समिति के माध्यम से भी अप्लाई कर दिया था।  मेरे पास युवा प्रभारी बिजनौर का फ़ोन आया कि हमने तुम्हारा नाम भेज दिया है।  

कुल मिला कर सब कुछ मेरे पक्ष में हो रहा था।  १९ की शाम को पंहुचा योगपीठ तो कमरा मिल गया और मैंने रजिस्ट्रेशन भी करवा लिया था।  सुबह ही ४:४० पर योग भवन में पहुंचना था और हम थोड़े लेट हो गए तब तक बाबा रामदेव जी महाराज ने योग कराना शुरू कर दिया था।  हम भी एकदम बैठ गए और दंड बैठक आदि लगाए फिर प्राणायाम किया।  बाबा जी ने हमें बहुत सी बातें बतायीं कि किस प्रकार प्रिंट मीडिया, फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब के माध्यम से शब्दों का सही चयन न करके हमारी संस्कृति पर आघात हो रहा है।  शुभ सुचना दी कि आस्था, वैदिक, संस्कार चैनल अब फ्री डिश पर भी उपलब्ध हैं जिससे के गाँव के लोग भी धर्म की व योग आदि की बातें सुन सकें।  इस धर्म प्रचार पर ९ करोड़ से भी अधिक खर्च पतंजलि योगपीठ कर रही है।  बाबा जी ने कहा की अगर योग न होता आज तो एक्टर व एक्ट्रेस के चरित्र भारत के बहन भाइयों में प्रचलित होते।  बाबा जी ने शुभ सुचना दी कि हमारे धर्म ग्रंथों में जो प्ररिवर्तन कर दिया गया है वह सुधार का अभियान भी योगपीठ चलाएगा।  मैं तो बहुत ही प्रसन्न था।  कई बार आँसू की झड़ी आँखों से निकल पड़ीं बाबा जी की निस्वार्थ, बुद्धि से पूर्ण, दिव्य बातों और संकल्पों को सुनकर। 

हमें तो पता है की स्वामी दयानन्द सरस्वती , आदि शंकराचार्य जी, मर्यादा पुरुषोत्तम राम व योगिराज श्री कृष्ण आदि की जैसी ही दिव्य आत्मा ने जन्म लिया है धरती पर संस्कृति के व राष्ट्र के पुनरुत्थान के लिए बाबा रामदेव जी के रूप में क्यूंकि यह भविष्यवाणी मैंने ब्रह्मचारी कृष्ण दत्त जी महाराज, बरनावा (पूर्व श्रृंगी ऋषि) की पुस्तक में पहले ही (१९८६ में ) पढ़ ली थी कि महर्षि पतंजलि के उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए एक आत्मा ने जन्म ले लिया है।  तो ये तो वहीँ आत्मा हैं, देवयान की महान आत्मा, इनको संसार का अपमान, संसार के वज्र का सामना तो करना पड़ता है परन्तु इन आत्माओं की वाणी अमोघ होती है।  इसलिए बाबा रामदेव जी जो भी संकल्प लेते हैं वह पूर्ण होता ही है।  

योग में अत्यधिक आनंद आया, पुनः आदरणीय राकेश जी ने क्लास ली और भारत स्वाभिमान के व पतंजलि योगपीठ के विषय में बताया।  रिसर्च सेंटर, आचार्यकुलम, वैदिक गुरुकुलम, योग ग्राम, हर्बल पार्क, पतंजलि आयुर्वेद, स्वदेशी अभियान आदि के बारे में बहुत कुछ बताया।  सोशल मीडिया में हम लोगों को जागरूक होने के निर्देश दिए।  बाबा रामदेव जी ने भी जो हृदय की वार्ताएं कीं उनसे हमारा हृदय विडोलित हो गया हम भी कुछ न कुछ बड़ा करेंगे सोशल मीडिया में यह हृदय में संकल्प ले लिया।  

भोजन व्यवस्था बहुत बढ़िया थी।  सुबह नाश्ता व दिव्य पेय , दोपहर को भोजन, रसगुल्ले व छाछ के साथ तथा रात में मैंने तो दोनों दिन उपवास रखा।  सोशल मीडिया के एक्सपर्ट भाइयों ने हमें ट्रेंड किया बफर, फीडले, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, पिनटेरेस्ट व यूट्यूब आदि एप्प्स के बारे में और ये किस प्रकार चलाई जाती है और क्या क्या काम करती हैं यह बताया।  मैंने कंप्यूटर १९९५ में दिल्ली में सीखा था और तभी से कंप्यूटर से जुड़ा हूँ, कई जगह कंप्यूटर फैकल्टी का भी काम किया है परन्तु जिस प्रकार प्रोजेक्टर क्लास चल रही थी उसे देख कर बहुत ही अच्छा लगा व बहुत कुछ ज्ञान बढ़ा। 

रहने की व्यवस्था से लेकर, ज्ञान, भोजन, योग व प्रेम व आदर तक सभी कुछ सुपर था।  हमारा फोटो सेशन भी हुआ और बाबा जी के पैर चौथी बार छू कर आशीर्वाद लेने का मौका भी मिला।  हमें पता चला कि हम कीबोर्ड क्रन्तिकारी हैं सोशल मीडिया के और हम ख़ुशी से फूले न समाते थे कि हमें इस योग्य समझा हमारे मानस पिता गुरुदेव बाबा रामदेव जी ने कि २०१२ के स्वदेशी अभियान में ९ महीने कार्य करने के बाद पुनः हमें किसी योग्य समझा और हम कुछ फिर से देश, धर्म व संस्कृति के लिए कर सकते हैं।  

भाई राकेश जी, भाई जयदीप आर्य जी, सोशल मीडिया के स्पेशलिस्ट भाइयो समेत बाबा रामदेव जी महाराज का बहुत बहुत धन्यवाद।  सभी योगपीठ के भाइयों का धन्यवाद।  मैंने संकल्प लिया है कि निश्चित रूप से देश की, धर्म की, संस्कृति की रक्षा करूँगा कीबोर्ड क्रान्तिकारी के रूप में और अधिक से अधिक समय (१०% से अधिक) जितना हो सकेगा दान करूँगा इस क्रांति में।  लिखने को बहुत कुछ है परन्तु समय का अभाव बना ही रहता है।  थोड़े लिखे को ही बहुत समझें।  

आशा है कि परमात्मा भी अवश्य ही हमारी सभी की सहायता, उत्साह वर्धन करेंगे इस कार्य में।  जय भारत माता।  वन्दे मातरम।  जय वैदिक संस्कृति।  सभी ऋषि मुनियों की जय।  ॐ

यूट्यूब पर सुनें - सोशल मीडिया शिविर हरिद्वार 



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