शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2017

महर्षि देव दयानंद सरस्वती का पूर्व जन्म

 ओ३म्
 जय गुरुदेव
दयानंद बोध दिवस (शिव रात्रि ) स्पेशल 
 

महर्षि देव दयानंद सरस्वती का पूर्व जन्म - अटूटी ऋषि के रूप में





आप क्या उच्चारण कर रहे हो? महर्षि देव दयानंद का जन्म तो टंकारा ग्राम (राजकोट) गुजरात में सन् 1824 ई0 में अमृताबाई के उदर से हुआ है जो कलयुग काल का समय है।

वह त्रेताकाल का समय है - महर्षि देव दयानंद सरस्वती का पूर्व जन्म।
माता है सोमवती - पुत्र को प्यार से सोम भी पुकारती है नाम है अटूटी ब्रह्मचारी। पिता है महर्षि कोलशती।

एक दिन संध्या काल की बेला में गौधृति हो गयी। माता सोमवती अपने स्वामी महषि कोलशती से पूछती है कि स्वामी अभी पुत्र अटूटी नहीं आया है, पिता श्री कहते हैं क्यों चिन्ता कर रही हो- या तो मित्र मंडली में ब्रह्म चर्चा चल रही होगी या फिर समाधि। योग में आसन लगा लिया होगा। फिर उसे समय का ध्यान कहाँ रहता है?

माता सोमवती अपने घर के काम में व्यस्त हो गयी। कुछ समय के उपरांत माता अटूटी ब्रह्मचारी के अध्ययन कक्ष की ओर देखती है कि कक्ष में पीतांबर प्रकाश है, माता समीप जाती है, दीपक प्रज्जवलित नहीं है फिर प्रकाश कैसे? .......... कक्ष के मध्य में अटूटी योग मुद्रा में स्थिर है।

माता आश्चर्यचकित हो गयी। ये कैसा व्यवहार है। पुत्र अटूटी के योग मुद्रा में प्रकाश उत्पन्न हो रहा है। ....... यह मेरा पुत्र नहीं है, यह तो देवों की निधि है, देवों का प्रकाश है, यह साधारण प्राणी नहीं है, यह तो परमात्मा की अनुपम कृपा की कोई ब्रह्म आत्मा है।

माता सोमवती अपने पतिदेव कोलशती महाराज से जाकर कहती है कि हे स्वामी यह अटूटी हमारा पुत्र नहीं है, मैंने इसमें भव्य ज्योति देखी है जो अंधकार को प्रकाश में परिवर्तित कर देती है। महर्षि कोलशती कहते हैं कि ऐसा कुछ नहीं है। यह तुम्हारी ममता अति स्नेह दुलार दृष्टि का प्रकाश है। प्रत्येक माता को अपने पुत्र में ऐसे ही प्रकाश प्रतीत होता है। यह तुम्हारा ही पुत्र है कोई विशेष प्राणी नहीं है।

अगले दिवस माता सोमवती से न रहा गया। प्रातःकाल बेला में ही अटूटी से कहा कि तुम मेरे पुत्र नहीं हो। मैंने तुझमें प्रकाश की ज्योति देखी है। तुम तो देवों की निधि हो देव पुत्र हो। ....... यह तो हमारा परम सौभाग्य है कि इतनी पवित्र ब्रह्म देव आत्मा हमारे गृह में आयी है। हे ब्रह्मचारी तुम तो पूजा के योग्य हो।

अटूटी ब्रह्मचारी को आभास हो गया कि माता ने उसे योग मुद्रा में देखा है, इसलिए पुत्र गुणगान गा रही है। और स्वयं की महानता को ओझल कर रही है।

पुत्र की गरिमा माता के चरण कमलों से है, ‘ारीर के अंग उपांग माता के अंगों से ही निर्मित होते हैं।

ब्रह्मचारी अटूटी कहते हैं कि हे माते! तुम तो सत्य में रमण करती रहती हो। सत्य उच्चारण का उपदेश देती रहती हो फिर यह असत्य से विचार कहां से आ गया कि मैं आपका पुत्र नहीं हूँ। देवों की निधि हूँ। प्रकाश का पुंज हूँ।

माता वाटिका में जो पुष्म की सुगंध सौंदर्य सुंदरता होती है, वह उसका अपना गुण नहीं है। वह पुष्प तो स्वयं किसी ‘ााखा लता में लगा है जो उसका पोषण करती है और अपने गुण उसमें समाहित कर देती है।

हे माता यदि मेरे में कोई गुण आया है तो उसको आपने ही प्रदान किया है। मेरे ‘ारीर का पोषण संसर्ग अंग उपांग, ज्ञान सभी आप से ही आये हैं। हे माते इस ‘ााखा पर जो भी पुष्प होता वह भी इतना ही सुगंधित और सौंदर्यपूर्ण होता। इसमें मेरा कोई महत्व नहीं है। यह तो मेरा सौभाग्य है या किन्हीं जन्मों के सुकर्मों का योग है जो इतना महान माता के उदर से उत्पन्न हो गया हूँ। हे माता तू महान है।

ब्रह्मचारी अटूटी के तेजोमयी बुद्धि और विवेकपूर्ण वार्ता सुनकर माता सोमवती का ह्रदय द्रवित हो गया। मुख से वाणी नहीं निकली। पुत्र को कंठ से लगा लिया। नेत्रों से अश्रुपात होने लगा। पुत्र माता के चरणों में ओतप्रात हो गया।

माता कहती है वाह रे प्रभु तु कितना महान् है कैसा दयावान है कितना यौगिक है तेरे जगत का कैसा विधान है, किन जन्मों का सुकर्म आज मेरे समक्ष है।

पुत्र माता की गाथा गा रहा है। माता पुत्र की गाथा गा रही है और दोनों का संबोधन उस परमदेव परमात्मा की ओर है जो इतना महान परोपकारी ज्ञानमयी है।

प्रकाश प्रकट योग- इस विद्या को हनुमान जी भी जानते थे और योगीराज श्री कृष्ण जी भी। परंतु आजकल यह प्रकाश समाधि विद्या कहीं प्राप्त नहीं हो रही है।





संदर्भ ग्रंथ - अमर्त कलश, महामुनि महानंद मेंखला मिशन, संकलन आई0 एस0 तोमर

आपका

ब्रह्मचारी अनुभव आर्यन्

1 टिप्पणी:

  1. मेरा नाम लिलियन एन है। यह मेरे जीवन का बहुत खुशी का दिन है क्योंकि डॉ. सगुरू ने अपने जादू और प्रेम मंत्र से मेरे पूर्व पति को वापस लाने में मेरी मदद की है। मेरी शादी को 6 साल हो गए थे और यह बहुत भयानक था क्योंकि मेरा पति वास्तव में मुझे धोखा दे रहा था और तलाक की मांग कर रहा था, लेकिन जब मुझे इंटरनेट पर डॉ.सागुरु का ईमेल मिला कि कैसे उन्होंने कई लोगों को उनकी पूर्व प्रेमिका को वापस लाने में मदद की है और रिश्ते को ठीक करने में मदद करते हैं और लोगों को अपने रिश्ते में खुश रहने में मदद करते हैं। मैंने उन्हें अपनी स्थिति बताई और फिर उनसे मदद मांगी लेकिन मुझे आश्चर्य हुआ कि उन्होंने मुझसे कहा कि वह मेरे मामले में मेरी मदद करेंगे और अब मैं जश्न मना रही हूं क्योंकि मेरे पति अच्छे के लिए पूरी तरह से बदल गए हैं। वह हमेशा मेरे साथ रहना चाहता है और मेरी उपस्थिति के बिना कुछ नहीं कर सकता। मैं वास्तव में अपनी शादी का आनंद ले रहा हूं, क्या शानदार जश्न है। मैं इंटरनेट पर गवाही देता रहूँगा क्योंकि डॉ. सगुरु वास्तव में एक वास्तविक जादू-टोना करने वाले व्यक्ति हैं। क्या आपको सहायता की आवश्यकता है तो अभी ईमेल के माध्यम से डॉक्टर सगुरु से संपर्क करें:drsagurusolutions@gmail.com या व्हाट्सएप +12098373537 वह आपकी समस्या का एकमात्र उत्तर है और आपको अपने रिश्ते में खुशी महसूस कराते हैं। और वह इसमें भी परिपूर्ण हैं
    1 प्रेम मंत्र
    2 पूर्व को वापस जीतें
    3 गर्भ का फल
    4 प्रमोशन मंत्र
    5 सुरक्षा मंत्र
    6 व्यापार मंत्र
    7 अच्छी नौकरी का मंत्र
    8 लॉटरी मंत्र और कोर्ट केस मंत्र।

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