प्रभु तन में रमा करना प्रभु मन में रमा करना।
वैकुण्ठ यहीं तो है इस में ही बसा करना।
हम मोर बनके प्रभु जी नाचा करेंगे वन में।
तुम श्याम घटा बन के उस वन में उठा करना।
होकर के हम पपीहा पी पी रटा करेंगे।
तुम स्वाति बूंद बनके प्यासे पे दया करना।
हम दीन दुखी जग में तुम को ही निहारेंगे।
तुम दिव्य ज्योति बन कर नयनों में रहा करना।
(पूज्यपाद स्वामी रामदेव जी के गाये भजनों से साभार )
आपका
भवानंद आर्य
वैकुण्ठ यहीं तो है इस में ही बसा करना।
हम मोर बनके प्रभु जी नाचा करेंगे वन में।
तुम श्याम घटा बन के उस वन में उठा करना।
होकर के हम पपीहा पी पी रटा करेंगे।
तुम स्वाति बूंद बनके प्यासे पे दया करना।
हम दीन दुखी जग में तुम को ही निहारेंगे।
तुम दिव्य ज्योति बन कर नयनों में रहा करना।
(पूज्यपाद स्वामी रामदेव जी के गाये भजनों से साभार )
आपका
भवानंद आर्य
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