शुक्रवार, 7 मार्च 2014

प्रभु तेरी शरण में

कोशिश की पाने की बहुत इस दुनिया को।
कुछ ना मिला पर कुछ ना मिला।
चाहा बहुत इस दुनिया को इस दुनिया को।
प्यार किया जिनसे और माना अपना।
वे हो गए बेगाने से बेगाने से।

बसाया जिनको दिल में।
तोड़ दिया उन्होंने दिल तोड़ दिया।
छोड़ दिया बीच भंवर में छोड़ दिया।
सबका तो नहीं पर बहुतों का है दर्द यहीं।

लेकिन प्रभु तू ही मेरा ऐसा है।
 जो कभी दुःख में भी साथ नहीं छोड़े।
जब जग में क़दम डोलें मेरे।
है तू ही प्रभो बचाता।

विकट संकट में भी तू ही है पार लगाता।

जब कभी राह नज़र न आये।
चारों ओर अँधेरा छा जाये।
तू ही है आसरा प्रभु उस समय तू ही है।
प्रभु तेरी शरण में हूँ।

प्रेरणा : स्वामी रामदेव जी के भजन से

आपका
भवानंद आर्य

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