मैं आपको एक ऐसे अद्भुत वक्ता के विषय में बताना चाहता हूँ जो कि सतयुग में श्रृंगी ऋषि के रूप में थे और इस भयंकर कलयुग में एक साधारण जुलाहे के घर खुर्रम पुर सलेमाबाद, मोदीनगर, गाजियाबाद में जन्म लिया। एक विशेष समाधि अवस्था में उनकी पूर्व जन्मों की याद वापस आ जाती थी और वो वेद मन्त्रों के साथ साथ रामचंद्र जी व कृष्ण जी के विषय में सही सही घटनाएं बताया करते थे बचपन से ही। मैं १९८६ से ही उनका साहित्य पढ़ा करता हूँ। पूज्यपाद गुरुदेव स्वामी रामदेव जी महाराज से अनुरोध है कि जो कुछ भी मैंने अपनी पोस्ट में लिखा है वह ही हमारा वास्तविक इतिहास है निम्न पोस्ट्स में और यह मैं खुद गवाही के साथ कह रहा हूँ कि यदि इस इतिहास को सहायक सामग्री के रूप में प्रयोग किया जाए तो हमारा वास्तविक इतिहास सुसज्जित होगा हमारे पूर्वज ऋषि मुनियों का पोषक है ये महाभारत काल के बाद का इतिहास। जैसा कि मनुस्मृति, महाभारत व भगवत गीता में संशोधन की आवश्यकता है उसी प्रकार से रामायण को भी २४०० साल पहले दूषित किया जा चुका है और यह कृष्णदत्त जी महाराज के समाधी अवस्था में दिए प्रवचनों के द्वारा सहायता लेकर कर्म यदि किया जाय तो परिशोधित संस्करण सामने आएगा समाज के। यदि इनको नहीं जोड़ा जाय तो बहुत कुछ परेशानियां व त्रुटियां रह जानी संभव हैं। यदि इनको पहले से ही अध्ययन में लाया जा चुका है तो बहुत बहुत धन्यवाद सभी योगपीठ के भाईयों, आचार्य जी और गुरुदेव बाबा रामदेव जी महाराज का।
मैंने हैडिंग के साथ अपने ब्लॉग के लिंक दिए हैं कृपया योगपीठ में इन पोस्ट्स को देखकर सत्य असत्य का निर्णय कर स्वामी जी को अवश्य दिखा देवें।
जातिवाद का प्रारंभ:, वाममार्गी सम्प्रदायः
पांडव वंश के शासक, महात्मा बुद्ध्
महात्मा शंकराचार्य
ईसा मसीह
महात्मा मुहम्मद भाग १
महात्मा मुहम्मद भाग २
गोस्वामी तुलसीदास, महात्मा नानक, महर्षि दयानन्द जी भाग १
महर्षि दाह\दयानन्द भाग २
महर्षि दयानन्द भाग ३
साहित्य और चरित्र को शुद्ध बनाओ व रामायण और महाभारत के पात्र
रूढ़िवादी काल
संस्कृति पर आघात, जर्मनी की प्रगति वेद से
संदर्भ ग्रंथ-
महाभारत एक दिव्य दृष्टि
(पूज्यपाद ब्रह्र्षि कृष्णदत्त जी द्वारा प्रकथित प्रवचनों से महाभारत के विषयों का संकलन) प्रकाशक : वैदिक अनुसंधान समिति (पंजीकृत)
पश्चात इनका यदि पूरा साहित्य चाहिए तो उनकी वेबसाइट का एड्रेस यह है - http://shringirishi.in/
आपका अपना
अनुभव शर्मा
(सोशल योगी , २०-२१ अप्रैल, २०१९ शिविर )
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