यजुर्वेद।।5।21।।
मनुष्यों
को योग्य है कि इस सब जगत का परमेश्वर ही रचने और धारण करने वाला व्यापक
इष्ट देव है ऐसा जान कर सब कामनाओं की सिद्धि करें।
विदुर नीति
इस
संसार में ऐश्वर्य चाहने वाले को ये छः दोष त्याग देने चाहिएं - अधिक
नींद लेना, निद्रा, श्रमादि के आलस्य से युक्त रहना, भय, क्रोध, आलस्य और
किसी भी काम को करने में देरी करना आदि। आलसी(Lazy) और सोते रहने वाले का भाग्य भी सो जाता है। आलस्य का त्याग करके जो उद्यम करता है उसे लक्ष्मी प्राप्त होती है।
यजुर्वेद।। ५। १०।।
मनुष्यों
को अति उचित है कि जो इस संसार में तीन प्रकार की वाणी होती है अर्थात एक
शिक्षा विद्या से सुसंस्कृत, दूसरी सत्य भाषण युक्त व तीसरी मधुर गुण सहित,
उनका ग्रहण करें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें