मंगलवार, 24 जनवरी 2017

महाभारत काल के बाद का आर्यावर्त भाग - 9


ओ3म्
जय गुरूदेव

महर्षि दयानंद - भाग ३

जहाँ दयानंद की पद्धति का प्रश्न है, दयानंद की पद्धति नहीं मनु जी की पद्धति कहलाती है कि जातिवाद नहीं होना चाहिए। जातिवाद क्या वस्तु है? मानववाद होना चाहिए। यह जातिवाद कैसे नष्ट हो?  जब यहाँ ब्राह्मण हों और ब्राह्मण कैसे हों? वे त्यागी तपस्वी हों। ऐसे ब्राह्मण प्रत्येक गृह में जा करके उत्तम समाज को एकत्रित करके यह कहे कि वर्तमान काल के अनुसार तुम्हें परिवर्तित होना होगा और नहीं होंगे तो भयंकर क्रान्ति मानव के निकट आती चली जा रही है। दयानन्द के मानने वालों ने तर्कवाद को अपना करके उनके यौगिक वाक्यों को त्याग दिया है। जिससे महात्मा दयानन्द की आत्मा भी अन्तिरिक्ष में व्याकुल हो रही है कि यह मेरे मानने वाले, मेरे पुजारी क्या कर रहे हैं। महात्मा शंकराचार्य की पुनीत आत्मा भी इसी प्रकार व्याकुल होती है।

जब मुझे महात्मा दयानन्द का जीवन स्मरण आने लगता है, उनकी विचार धारा, उनका ब्रह्मचर्य उनका तप स्मरण आने लगता है तो मेरा ह्रदय गद्गद् होने लगता है। और मुझे यह प्रतीत होने लगता है कि वह महापुरुष कैसा महान था कि उसने यथार्थ क्रांति को लाने का प्रयास किया और उस यथार्थ क्रांति का परिणाम यह हुआ कि यह राष्ट्र जो दूसरे राष्ट्रों के नीचे दबायमान था, वह यहाँ से प्रस्थान कर गये। यह होता है यथार्थ महापुरुषों की क्रान्ति का परिणाम।

आचार्य दयानन्द ने ऐसा कहा है कि सत्य को मानने में किसी प्रकार की कोई हानि नहीं। वस्तुतः आधुनिक काल में उनके मानने वाले कुछ ऐसे व्यक्ति आ पहुँचे हैं जिन्होंने सत्यता को स्वीकार करना ही समाप्त कर दिया है जब वह सत्यता को  नहीं मानते तो उनके वाक्यों या उनके बनाए हुए जो नियम हैं उनको समाम्त करना प्रारंभ कर दिया है। यथार्थ को यथार्थ मानने में किसी को किसी प्रकार की आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उसको मान लेना चाहिए। संसार में बहुत सी ऐसी वार्ताएं हैं जो बुद्धि का विषय नहीं, बुद्धि से परे का विषय हैं। आज अनुसंधान करो और बुद्धि से परे की वार्ताओं को विचारो। योगाभ्यास करो, आत्मा को परमात्मा के समक्ष पहुंचाओ। योग को जान करके संसार को जानने वाले बनो।


इस पोस्ट  को अंग्रेजी में पढ़ें  : दयानंद पार्ट ३
इस पोस्ट  को अंग्रेजी में पढ़ें : दयानंद पार्ट ४

अगली कड़ी में - साहित्य और चरित्र को शुद्ध बनाओ एवं रामायण और महाभारत के पात्र

आपका अपना
ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा

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