बुधवार, 28 फ़रवरी 2018

द्रौपदी माता की यज्ञ शाला

आज से लगभग ५००० वर्ष पूर्व का खंडहर जो कि द्रौपदी माता की यज्ञ शाला है - 







 यह यज्ञशाला बरनावा जिला बागपत में स्थित है।  यह वहीँ जगह है जहाँ पाण्डवों के लिए दुर्योधन ने लाक्षागृह का निर्माण करवाया था।

ज्ञातव्य हो कि यहाँ पर इस समय इतिहासकार वैज्ञानिकों की टीम खुदाई कर रही है और पाए अवशेषों से इतिहास का अनुमान व महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने का प्रयास कर रही है।

माता द्रौपदी एक विदुषी, वेद की विद्वान् व महान चरित्रवान महिला थीं परन्तु खेद है कि उनके चरित्र को भ्रष्ट कर के जैनी काल में उन लोगों ने कुछ न छोड़ा।  माता द्रौपदी इतनी महान थीं कि उन्हें अपने पुराने सात जन्मों की स्मृति थी और योगिराज श्री कृष्ण जी महाराज उनसे जब भी मिलने आते थे तो उनके चरण स्पर्श करते थे और वह इसलिए क्योंकि उनका जीवन एक तपस्विनी की भांति था।  और वे विदुषी भी थीं।  वे कृष्ण जी की बहन कहलाती थीं। जैनी काल में यह कैसे हुआ कि उनको पांच पतियों वाली कहा जाने लगा इसके लिए अवश्य पढ़ें - महाभारत काल के बाद का आर्यावर्त भाग - 10


आपका
ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा

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