शनिवार, 15 फ़रवरी 2014

परमात्मा को पत्र

प्यारे व आदरणीय परमपिता परमात्मा,

देखो भगवान जी आपका सही सही ज्ञान हमें नहीं है लेकिन जितना मैंने आपके बारे में विद्वानों की पुस्तकों से जाना है आप का  मुख्य नाम ॐ है ।
नमस्ते प्रभु ,

आज मैं संकट में हूँ मुझे तीन वरदान और एक आशीर्वाद चाहिए कि
वरदान
१. मेरी आजीविका कम से कम २००००  मासिक बंध जाये जिससे कि मैं श्रुति को भी खुद ही पढ़ा पाऊँ ।
२. मुझे उन नीच मेरी पत्नी राधा , सालो और उस सूअर ससुर के झूंठे मुकदमों से मुक्ति मिल जाये । (Ati sheeghr Pura Karo Is Kamna Ko)
*३. मेरी भी कोई अपनी प्रेमिका हो जो पूरे जीवन भर मेरा साथ निभाए लेकिन मेरे ही जैसी हो । (Ye Kamna Puri Nhin Honi Chahie)
आशीर्वाद
प्रभु आशीर्वाद दो कि  मैं अध्यात्मिक  व भौतिक दोनों उपलब्धियाँ भरसक कर पाऊँ और योग में व ज्ञान में ऐसी उन्नति करूँ कि अपने विष्णु रूप को जानने में सक्षम हो पाऊँ ।

और प्रभु आशीर्वाद के साथ साथ हमें श्राप भी ज़रूर देना क्योंकि मैं इतना अच्छा नहीं हूँ जितना दुनिया मेरे बारे में सोचती है । पर आपको तो सब पता है । अच्छाई के साथ साथ इतनी कमियां हैं मुझमें कि जी करता है कि अपनी सारी पोल दुनिया के सामने खोल दूँ । बस भगवान जी इतने लिखे को ही बहुत समझना ।

धन्यवाद प्रभु जी
प्रभु जी इतनी सी दया करना हम को भी तुम्हारा प्यार मिले ।

इस पोस्ट को इंग्लिश में  पढ़ें

आपका अपना
अनुभव शर्मा या भवानंद

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