हमारी धार्मिक पुस्तकों में एक कहानी दी हुई है जो गौतम, इन्द्र और अहिल्या के बारे में है. देखते हैं इसमें क्या कहा गया है-
ब्रह्म ने अहिल्या का निर्माण किया. जब देवताओं के राजा इन्द्र ने उसकी सुन्दरता को देखा तो उसने ब्रह्म से अहिल्या को मांग लिया. ब्रह्म ने उसको उसे देने का वचन देदिया. कुछ दिनों बाद जब अहिल्या युवती हो गयी तो ब्रह्मा ने उसे ऋषि गौतम को, इन्द्र को देने के लिए सोंप दिया. वह अपूर्व सुंदरी थी. इसलिए गौतम ने उसको इन्द्र को नहीं दिया तथा उसका पाणिग्रहण अपने साथ ही कर लिया. जब इंद्र को यह पता चला कि उसकी अहिल्या गौतम के पास है तो वह चन्द्रमा के साथ गौतम के आश्रम में आया. वहां पर इंद्र मुर्गा बना और आधी रात को ही बोल पड़ा. चन्द्रमा को द्वारपाल बनाया कि अगर गौतम लौटे तो वह इन्द्र को सूचित कर सके. और इंद्र ने गौतम का छद्मवेश धारण कर के अहिल्या के साथ छल किया.
उधर गौतम मुर्गे कि आवाज़ सुन ब्रह्म मुहूर्त समझ गंगा नदी पर स्नान के लिए जब पहुंचा और उसने अपना कमंडल भरने के लिए उसे नदी में डाला, तो माता गंगा बोलीं, "अरे भाई! तुम इस समय यहाँ क्या कर रहे हो?"
"माता गंगा! में यहाँ प्रतिदिन सुबह को स्नान के लिए आया करता हूँ. लेकिन आप ऐसा प्रश्न क्यों पूछ रही हो?"
"गौतम! अभी तो अर्धरात्रि ही है. अपने घर वापस जाओ क्योंकि राजा इंद्र तुम्हारी पत्नी के साथ छल कर रहा है."
अब गौतम फ़ौरन जल्दी जल्दी अपने घर कि और को लौटे.जब वह वहां पहुंचे तो उनहोंने चन्द्रमा को प्रहरी के रूप में पाया. उन्होंने अपने गीले वस्त्र चन्द्रमा को सोंप दिए. इसीलिए चन्द्रमा गदला हो गया. अब वह कुटिया के अन्दर गए और अहिल्या को वज्र कि होने का श्राप देदिया. और इंद्र को श्राप दिया कि तू सहस्रों भागों वाला हो जा.
मेरे मित्रों! हमें इस कहानी के बारे में सोचना चाहिए. इस के पीछे छुपा मुख्या तथ्य यह है कि गौतम चन्द्रमा को कहते हैं. इंद्र सूर्य को कहते हैं. रात्री के समय चन्द्रमा(गौतम) रात्रि (अहिल्या) का उपभोग करता है और उसको प्रकाश देता है. साथ साथ वह वनस्पतियों में रस का भरण भी करता है. जब सूर्य(इंद्र) आता है तो वह रात्रि का उपभोग करके वहां प्रकाश ही प्रकाश फैला देता है. साथ साथ वह वनस्पतियों से रसों का शोषण भी किया करता है. यह इस लेन देन की विचित्र क्रिया के द्वारा वनस्पतियों में फल आदि को पकाया करते हैं. सूर्य सहस्रों किरणें रखता है इसलिए इसे सहस्रों भगों वाला कहते हैं.
अब मैं यहीं कलम रोकता हूँ. इस कहानी के पीछे छिपी शिक्षा अब आप को स्पष्ट होगी. मैं अब आप से अगली पोस्ट में और नए अलंकारों के साथ फिर मिलूँगा.
धन्यवाद
अनुभव शर्मा
इस पोस्ट को इंग्लिश में पढ़ें.
मेरे मित्रों! हमें इस कहानी के बारे में सोचना चाहिए. इस के पीछे छुपा मुख्या तथ्य यह है कि गौतम चन्द्रमा को कहते हैं. इंद्र सूर्य को कहते हैं. रात्री के समय चन्द्रमा(गौतम) रात्रि (अहिल्या) का उपभोग करता है और उसको प्रकाश देता है. साथ साथ वह वनस्पतियों में रस का भरण भी करता है. जब सूर्य(इंद्र) आता है तो वह रात्रि का उपभोग करके वहां प्रकाश ही प्रकाश फैला देता है. साथ साथ वह वनस्पतियों से रसों का शोषण भी किया करता है. यह इस लेन देन की विचित्र क्रिया के द्वारा वनस्पतियों में फल आदि को पकाया करते हैं. सूर्य सहस्रों किरणें रखता है इसलिए इसे सहस्रों भगों वाला कहते हैं.
अब मैं यहीं कलम रोकता हूँ. इस कहानी के पीछे छिपी शिक्षा अब आप को स्पष्ट होगी. मैं अब आप से अगली पोस्ट में और नए अलंकारों के साथ फिर मिलूँगा.
धन्यवाद
अनुभव शर्मा
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