आज मैं विदुर नीति में दिए कुछ तथ्य प्रकट करना चाहता हूँ जो कि महात्मा विदुर के द्वारा लिखी गयी है. वे महाभारत कल के महाराज ध्रतराष्ट्र के सबसे छोटे भाई थे. विदुर नीति से लिए गए एक श्लोक को देखें-
अभिवादन शीलस्य नित वृद्धोप सेविन चत्त्वारी तस्य वर्धयानते आयुर्विद्या यशोबलम.
एक व्यक्ति जो सदा वृद्धों को नमस्कार करता है, उनकी सेवा करता है; अपनी उम्र, ज्ञान, प्रसिद्धि व बल को बढाता है. आप यह सोचेंगे कि यह कैसे संभव है? लेकिन यह अक्षरशः सत्य है. जो लोग वृद्धों के पैरों को छूता है वह ज्ञान तो प्राप्त तो करता ही है, बल प्राप्त करने का ज्ञान भी प्राप्त करता है. और उन के द्वारा प्रशंसा को प्राप्त करता है. आयु को बढ़ने कि विधियाँ भी जान जाता है. इसी कारण विदुर जी ने यह श्लोक लिखा है. यह बात एक तरह कि युक्ति कि भांति है, जो ऐसा करता है उसे इस के अनुकूल फल भी मिलता है.
इस पुस्तक में उनहोंने यह भी कहा है कि किस प्रकार हम अपने मित्र, शत्रु और उदासीन व्यक्तियों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं.
चार प्रकार के कार्य हैं जिनके द्वारा हम दूसरों का हृदय जीत सकते हैं- साम, दाम, दंड और भेद. साम(प्रशंसा), दाम(धनादि देकर), दंड(दण्डित करके) और भेद(फूट डालकर). माना हम अपने शत्रु पर विजय पाना चाहते हैं तो हमें उसे किसी प्रकार कि कटु बात नहीं कहनी चाहिए बल्कि उसकी अच्छी बातों कि प्रशंसा करनी चाहिए. हमें उसको प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कुछ देना भी चाहिए तथा इस प्रकार कि युक्तियाँ प्रयुक्त करनी चाहिएं कि वह अपने साथियों को बढ़ा न सके जिससे वे जुड़ न पायें अर्थात उनके बीच फूट दाल देनी चाहिए. दूसरी बात, अगर हम किसी को विजय करना चाहते हैं तो हमें ये युक्तियाँ प्रयोग करनी चाहिएं-
यान, आसन, समाश्रय, संधि, द्वैतिभाव व विग्रह.
यान का अर्थ है कि यदि सारी परिस्तिथियाँ हमारे अनुकूल हों तो हमें फ़ौरन उस पर प्रहार कर उसको विजय करना चाहिए. आसन का अर्थ है कि यदि अनुकूल परिस्तिथियाँ न हों तो शांत रहना चाहिए. समाश्रय का अर्थ यह है कि उससे से बड़े व्यक्ति का आश्रय लेना. संधि का अर्थ यह है कि जब आवश्यकता हो तो हमें उससे मित्रता कर लेनी चाहिए. द्वैतिभाव का अर्थ यह है कि हमें ऊपर से मित्रता और भीतर से वहीँ शत्रुता का भाव बनाये रखना चाहिए. उसे हृदय से मित्र न बना कर केवल बातों से ही मित्र बनाये रखना चाहिए. विग्रह का अर्थ यह है कि आवश्यकतानुसार उससे मित्रता या संधि तोड़ लेनी चाहिए.
आप ये युक्तियाँ किसी के लिए भी प्रयोग कर सकते हैं. अब में अपना कलम बंद कर रहा हूँ.
धन्यवाद
अनुभव शर्मा
इस पोस्ट को इंग्लिश में पढ़ें.
अभिवादन शीलस्य नित वृद्धोप सेविन चत्त्वारी तस्य वर्धयानते आयुर्विद्या यशोबलम.
एक व्यक्ति जो सदा वृद्धों को नमस्कार करता है, उनकी सेवा करता है; अपनी उम्र, ज्ञान, प्रसिद्धि व बल को बढाता है. आप यह सोचेंगे कि यह कैसे संभव है? लेकिन यह अक्षरशः सत्य है. जो लोग वृद्धों के पैरों को छूता है वह ज्ञान तो प्राप्त तो करता ही है, बल प्राप्त करने का ज्ञान भी प्राप्त करता है. और उन के द्वारा प्रशंसा को प्राप्त करता है. आयु को बढ़ने कि विधियाँ भी जान जाता है. इसी कारण विदुर जी ने यह श्लोक लिखा है. यह बात एक तरह कि युक्ति कि भांति है, जो ऐसा करता है उसे इस के अनुकूल फल भी मिलता है.
इस पुस्तक में उनहोंने यह भी कहा है कि किस प्रकार हम अपने मित्र, शत्रु और उदासीन व्यक्तियों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं.
चार प्रकार के कार्य हैं जिनके द्वारा हम दूसरों का हृदय जीत सकते हैं- साम, दाम, दंड और भेद. साम(प्रशंसा), दाम(धनादि देकर), दंड(दण्डित करके) और भेद(फूट डालकर). माना हम अपने शत्रु पर विजय पाना चाहते हैं तो हमें उसे किसी प्रकार कि कटु बात नहीं कहनी चाहिए बल्कि उसकी अच्छी बातों कि प्रशंसा करनी चाहिए. हमें उसको प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कुछ देना भी चाहिए तथा इस प्रकार कि युक्तियाँ प्रयुक्त करनी चाहिएं कि वह अपने साथियों को बढ़ा न सके जिससे वे जुड़ न पायें अर्थात उनके बीच फूट दाल देनी चाहिए. दूसरी बात, अगर हम किसी को विजय करना चाहते हैं तो हमें ये युक्तियाँ प्रयोग करनी चाहिएं-
यान, आसन, समाश्रय, संधि, द्वैतिभाव व विग्रह.
यान का अर्थ है कि यदि सारी परिस्तिथियाँ हमारे अनुकूल हों तो हमें फ़ौरन उस पर प्रहार कर उसको विजय करना चाहिए. आसन का अर्थ है कि यदि अनुकूल परिस्तिथियाँ न हों तो शांत रहना चाहिए. समाश्रय का अर्थ यह है कि उससे से बड़े व्यक्ति का आश्रय लेना. संधि का अर्थ यह है कि जब आवश्यकता हो तो हमें उससे मित्रता कर लेनी चाहिए. द्वैतिभाव का अर्थ यह है कि हमें ऊपर से मित्रता और भीतर से वहीँ शत्रुता का भाव बनाये रखना चाहिए. उसे हृदय से मित्र न बना कर केवल बातों से ही मित्र बनाये रखना चाहिए. विग्रह का अर्थ यह है कि आवश्यकतानुसार उससे मित्रता या संधि तोड़ लेनी चाहिए.
आप ये युक्तियाँ किसी के लिए भी प्रयोग कर सकते हैं. अब में अपना कलम बंद कर रहा हूँ.
धन्यवाद
अनुभव शर्मा
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