बुधवार, 5 जनवरी 2011

क्या शिक्षा बच्चों के लिए आवश्यक है?

बच्चों के लिए शिक्षा की आवश्यकता

हमें अपने बच्चे के लिए अच्छी शिक्षा की  व्यवस्था करनी चाहिए। लेकिन अगर हम उनको शिक्षा नहीं दिलाते तो क्या होगा? क्या उनको शिक्षित करना आवश्यक है?

जैसे कि एक सुशिक्षित व्यक्ति बलवान कहा जाता है। हम कह सकते हैं कि शिक्षा एक शक्ति है। कई प्रकार के बल होते हैं - बुद्धि बल, धन बल, ज्ञान बल, शारीरिक बल और राज बल आदि ।
इसलिए अगर हमारे माता पिता हमें शिक्षा दिलाते हैं तो हम एक प्रकार का बल रखेंगे। शिक्षा के द्वारा हम नोकरी पा सकते हैं, समाज में एक माननीय स्थान प्राप्त कर सकते हैं और हम अपने सामान्य निर्णय भी स्वयं लेने में सक्षम हो जाते हैं। शिक्षा प्राप्त करना बहुत ही आवश्यक है। यदि हम अपनी धार्मिक और दार्शनिक पुस्तकों में देखें, तो हम पाते हैं-

माता शत्रु पिता वैरी येन बालोभ्याम् न पाठयेत्। न शोभते सभा मध्ये हंस मध्ये बको यथा॥ - भर्तृहरि

यह श्लोक कहता है-

वे माता पिता अपने बच्चों के शत्रु हैं जो उनको शिक्षित नहीं करते हैं। क्योंकि वे सभाओं को विजय नहीं कर पाते और घोड़ों की  सभा में गधे(हंसों की  सभा में बगुले) की  भांति लगते हैं। इस श्लोक में रूपक अलंकार प्रयोग किया गया है ।

धन, अपने बच्चे पर खर्च किया गया, व्यर्थ नहीं जाता। बदले में यह एक प्रकार की  बचत है। जब अच्छी शिक्षा पाकर हमारा बच्चा विद्वान हो जाता है तो वह हमें भी ख्याति दिलाता है, धन कमाता है और अन्य भी बहुत से लाभ कराता  है।

जैसा हम जानते हैं कि 'विद्या ददाति विनयम्' एक विद्वान ने कहा है जिस का अर्थ है कि विद्या से हममें विनीत भाव आते हैं। यह बात बिलकुल सत्य है। इसलिए विनय, हमारे और हमारे माता पिता के लिए बहुत लाभदायक है। विनीत भावों के कारण हम लोग प्रसन्नता प्राप्त करते  हैं। यहीं वजह है कि हमें अपने बच्चों की शिक्षा के लिए खुले हाथों से खर्च करना चाहिए।
किसी और ने कहा है, "विद्या धनं परमम् धनं" - अर्थात विद्या रुपी धन सर्वोपरि धन है। यह कथन हमें सत्य प्रतीत होता है।

हमें यह भी सोचना चाहिए, यदि हम अपने बच्चे को नहीं पढ़ाते हैं, तो वह मूर्ख रह जाएगा जिसे हम इस समाज को सौंप रहे हैं। समाज के लिए हमारा योगदान अच्छा ही होना चाहिए। ऐसे व्यक्ति का समाज में देना  अच्छा नहीं होगा। हमारा यह कर्त्तव्य है कि हम समाज को कम से कम सुशिक्षित व्यक्ति तो सोंपें ही।

अब मैं इस शीर्षक से सम्बंधित एक और तथ्य जोड़ रहा हूँ। जैसा कि हरेक व्यक्ति शीघ्र ही सफलता चाहता है , तो हमें पता होना चाहिए कि ऐसा कैसे संभव है? यदि हम शीघ्र सफलता चाहते हैं तो हमें सांसारिक विज्ञान के साथ साथ अध्यात्मिक विज्ञान का भी अध्ययन करना चाहिए।
हमें अपनी वृद्धावस्था के विषय में भी विचारना चाहिए, यदि हमारे बच्चे सुशिक्षित हैं, हमें किसी भी प्रकार का दुःख नहीं मिलेगा। क्योंकि सुशिक्षित व्यक्ति सदा दूसरों के लिए सहायक होता है। वह निश्चित रूप से उस समय हमारे लिए सहायक होगा।

जैसा हमें पता है कि 'अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभं' - हमें अपने सभी अच्छे या बुरे कर्मों का फल भोगना पड़ता है। हमें अपने बच्चों की शिक्षा के लिए धन खर्च करना चाहिए जिससे हमें भविष्य में प्रसन्नता का फल प्राप्त हो और हमारे बच्चे हमारे लिए धन कमाने में भी समर्थ हो सकें।
यह बच्चों कि शिक्षा के बारे में था। हमें उन्हें मेहनत से कमाए धन के द्वारा शिक्षा दिलानी चाहिए. और किसी भी कीमत पर उन्हें अशिक्षित नहीं रहने देना चाहिए। वरना हम उनके साथ शत्रुता का व्यवहार करते हैं।
धन्यवाद
ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा
9639277229
इस पोस्ट को इंग्लिश मैं पढ़ें.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

free counters

फ़ॉलोअर