ओ३म्
कश्मीर में तैनात फौजियों की दुर्गति के सम्बन्ध में
कश्मीर में तैनात फौजी तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण शिकंजे में कसे हैं व अपमान दुर्व्यवहार व दुर्गति को सहन करने को मजबूर हैं। अब राय यह है कि वहाँ की ड्यूटी वाले फ़ौजियों को तो सुप्रीम कोर्ट के आधार पर ही चलने देवें।
आदरणीय केन्द्र सरकार को मेरी यह एक सलाह है कि वह केंद्र सरकार की ओर से विशेषाधिकार वाली स्पेशल टास्क फ़ोर्स भेज कर कश्मीर के मामले को हल करवाएँ। क्योंकि मुद्दा यह है कि वहाँ मानवाधिकार का हनन हो रहा है फ़ौजियों के लिए। इसमें केंद्र सरकार का पर्सनल दखल आवश्यक है। केंद्र सरकार अपने निर्णय स्वतः करने में सक्षम है। रही सुप्रीम कोर्ट की बात तो यह जवाब देही केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट को स्वतः देवें। यह कार्य रूलिंग सरकार के कार्य क्षेत्र में है ।
कहीं ऐसा न हो कि सुप्रीम कोर्ट से अन्य याचिकाओं पर फाइनल डिसीज़न आने तक हमारे फौजी भाई सब ही कुछ बर्दाश्त करते रहें। जो भूल महाराजा हरी सिंह जी के कश्मीर के शासन काल में आज़ादी के वक़्त हुई थी और उस का हल आदरणीय प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू सकारात्मक रूप से न निकाल पाए थे ऐसी कोई भी भूल आदरणीय वर्त्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी न करें।
आप का ही
ब्रह्मचारी अनुभव आर्यन्
एक भारतीय नागरिक
जय हिंद
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