1- व्यक्तित्व का पता वाणी से चल जाता है।
2- भागिये मत, अपने कर्तव्य स्थल पर खड़े रहिये। मनुष्य का गौरव इसी में ही सन्निहित है।
3- देह सुख की लालसा ही क्षुद्रता है।
4- जो अपने व्यक्तित्व निर्माण के लिए सजग है उसके सपनों का साकार होना निश्चित है।
5- गहन आत्म श्रद्धा ईश्वर-आस्था का पर्याय है।
6- अधिकांश अपने अरमानों की लाश ढोते हुए संसार से विदा हो जाते हैं।
7- सुबह यदि संभावनाओं की है तो दिन संघर्षों का है।
8- धर्म का आचरण मनुष्य को भव सागर से पार कर देता है।
9- प्रकृति एवं प्रवृत्ति में बढ़ रहे अन्धाधुन्ध प्रदूषण ने ही उज्जवल भविष्य की सभी संभावनाओं को रोक रखा है।
10- नैतिक-कत्र्तव्य मोह ममता से अधिक महत्वपूर्ण है।
11- भाग्यवादी होना चरम जड़ता का प्रतीक है।
12- लक्ष्य प्राप्ति के लिए अनंत धैर्य आवश्यक है।
13- ईश्वर उपासना एक आवश्यक धर्म-कत्र्तव्य है।
14- गर्व करने वाले मनुष्य का पतन अवश्य होता है।
15- ईश्वर सर्वोपरि और सर्वशक्तिमान आराध्य देव है।
16- आत्म-अनुशासित रहो, विनम्र रहो व निर्मल दृष्टि रखो।
17- प्रसन्न रहना ईश्वर की सर्वोपरि भक्ति है।
साभार- श्री विश्वपाल सिंह त्यागी
नायक नंगला, फोन - 8650209774
आपका अपना
ब्रह्मचारी अनुभव आर्यन्
2- भागिये मत, अपने कर्तव्य स्थल पर खड़े रहिये। मनुष्य का गौरव इसी में ही सन्निहित है।
3- देह सुख की लालसा ही क्षुद्रता है।
4- जो अपने व्यक्तित्व निर्माण के लिए सजग है उसके सपनों का साकार होना निश्चित है।
5- गहन आत्म श्रद्धा ईश्वर-आस्था का पर्याय है।
6- अधिकांश अपने अरमानों की लाश ढोते हुए संसार से विदा हो जाते हैं।
7- सुबह यदि संभावनाओं की है तो दिन संघर्षों का है।
8- धर्म का आचरण मनुष्य को भव सागर से पार कर देता है।
9- प्रकृति एवं प्रवृत्ति में बढ़ रहे अन्धाधुन्ध प्रदूषण ने ही उज्जवल भविष्य की सभी संभावनाओं को रोक रखा है।
10- नैतिक-कत्र्तव्य मोह ममता से अधिक महत्वपूर्ण है।
11- भाग्यवादी होना चरम जड़ता का प्रतीक है।
12- लक्ष्य प्राप्ति के लिए अनंत धैर्य आवश्यक है।
13- ईश्वर उपासना एक आवश्यक धर्म-कत्र्तव्य है।
14- गर्व करने वाले मनुष्य का पतन अवश्य होता है।
15- ईश्वर सर्वोपरि और सर्वशक्तिमान आराध्य देव है।
16- आत्म-अनुशासित रहो, विनम्र रहो व निर्मल दृष्टि रखो।
17- प्रसन्न रहना ईश्वर की सर्वोपरि भक्ति है।
साभार- श्री विश्वपाल सिंह त्यागी
नायक नंगला, फोन - 8650209774
आपका अपना
ब्रह्मचारी अनुभव आर्यन्
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें