रविवार, 19 मार्च 2017

परमात्मा क्या है ?

(कठोपनिषद से एक खंड )


यमाचार्य ने उत्तर दिया परमात्मा का न कोई नाम है, न रूप है, अध्यात्म तो जीवन की एक दिशा है।  वेद शास्त्र उस जीवन का ही वर्णन करते हैं।  तपस्वी लोग उस जीवन ही की बात करते हैं।  उस जीवन की चाह से ही ब्रह्मचर्य व्रत लिया जाता है।  उस जीवन को अगर एक शब्द में कहना चाहें तो उसे ओं कह सकते हैं।  ओं परमात्मा का नाम नहीं है।  ॐ तो एक पद है एक ध्वनि है।  सर्वे वेद यत पदम् आमनन्ति।  नाम तो शरीरधारी का होता है परमात्मा शरीर धारी नहीं है।  ओम इस पद का इस ध्वनि का उच्चारण करने से शरीर में ऐसे कम्पन उत्पन्न होते हैं, जिनसे, ॐ की ध्वनि से शरीर तथा मन में आध्यात्मिक तरंगें पैदा होनी शुरू हो जाती हैं।
 -कठोपनिषद द्वितीय वल्ली से  

भाइयों बहनों परमात्मा कण कण में विद्यमान है और वह कभी भी शरीर धारण नहीं करते तथा परमात्मा इतने बुद्धिमान हैं कि उनके द्वारा अनंत जीवों के जन्मों जन्मों की कर्म फल व्यवस्था को किया जाता है।  अतः उन्हें गजानन  कहते हैं।  उनके गर्भ में हम असंख्य जीव एक साथ रहते हैं अतः उनको लम्बोदर भी कहते हैं।  आर्य समाजी भाई बहन इस बात को अन्यथा ना लेवें।  परमात्मा सभी पूजा व उपासनाओं में सर्व प्रथम याद किये जाते हैं अतः उनको गणेश कहते हैं।  परमात्मा को देखा जाना संभव नहीं इन आँखों से क्योंके उनका अस्तित्व एक अदृश्य चेतना के रूप में है।  और आँख जिन प्रकृति के परमाणुओं से बनी है उन से भी सूक्ष्म परमात्मा होते हैं। अतः परमात्मा के दर्शन हम नहीं कर सकते हाँ योग के द्वारा हमारा आत्मा जो परमात्मा का प्यारा पुत्र माना गया है वैदिक साहित्य में, परमात्मा को साक्षात् देख सकता है।  क्योंकि चेतना, चेतना के दर्शन कर सकती है। 
धन्यवाद


आपका अपना 
ब्रह्मचारी अनुभव आर्यन

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