गुरुवार, 21 फ़रवरी 2019

नापाक मंसूबे हैं आतंक के पीछे

ओ३म
पाकिस्तान व भारत की राजनैतिक स्थितियों में अंतर
जैसी गणतंत्र व उसकी व्यवस्था भारत में हैं, भारत के लोग समझते हैं कि पाकिस्तान में भी वैसी ही है।  परन्तु ऐसा नहीं है।  इसे समझने के लिए मेरे इस लेख को ध्यानपूर्वक पूरा पढ़ें तब ही वास्तविक स्थिति समझने में सक्षम हो पाएंगे।  ये लेख किसी द्वेष की भावना से नहीं लिखा गया है।  परन्तु जैसा मेरी मति में समझ आया है वैसा ही मैंने लिख दिया है।  विद्वान् लोग उसी मात्र से वास्तविक स्थिति समझ लेंगे।  

मैंने क़ुरआन में पढ़ा है, उसमें सभी आदेश मुसलमान के लिए हैं बाक़ी सभी को काफिर बताया गया है तथा यह भी कहा है कि मुसलमान ही जन्नत जायेगा तथा काफिर (गैर मुस्लिम - हिंदू, सिख, ईसाई , बौद्ध, जैनी आदि सभी ) दोज़ख में ही जायेंगे।  वास्तव में मुहम्मद ने आज से लगभग 1400 वर्ष पहले इस पुस्तक के माध्यम से एक ऐसी फौज की रचना की थी जो 'अक़्ल को दखल नहीं ' नियम मानकर वह जो सीधा उल्टा कहें वे वहीँ करें। उन्होंने इन फोजों को अंधानुकरण सिखाया।  जबकि गीता व वेदादि सत्य शास्त्रों में मानव मात्र के कल्याण का उपदेश है, ऐसा कुरआन में नहीं। 

भारत में सभी व्यापक योजनाएं सरकार, संसद, राष्ट्रपति या कोर्ट द्वारा आदेशित होती हैं।  भारतीय सेना भी मंत्री परिषद् व प्रधानमन्त्री जी के अधीन होकर ही निर्देशित रहती है।  परन्तु पाकिस्तान में ऐसा नहीं है।  

पाकिस्तान को रूल करने वाली तीन यूनियन हैं -
१- राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री, संसद, कोर्ट व मंत्री परिषद् 
२- अल्लाह, मुहम्मद व कुरआन के आधार पर चलने वाली संस्थाएं जैसे जैश ए मुहम्मद आदि।  इनका काम नमाज़ पढ़ना, मदरसा चालान, जमात लगाना व समय समय पर मुहम्मद की बातों के आधार पर अल्लाह व दोज़ख का खौफ देकर सेना एवं पहली यूनियन को आदेशित करना।  यह संस्था अपना लश्कर अलग से भी रखती है।  
३- पाकिस्तानी सेना।  यह सेना अपने फैसले दूसरी यूनियन के आधार पर लिया करती है।  दूसरी व पहली यूनियन की रक्षा करना इसका मुख्य उद्देश्य है। यही कारण है कि मसूद अज़हर व अन्य आतंकियों को सेना के कैंप, हॉस्पिटल आदि में पनाह मिल जाया करती है। 

इस प्रकार हम देखते हैं कि सेना यूनियन १ व यूनियन २ दोनों की हर जां मदद व रक्षा करती है।  यूनियन १, प्रधानमन्त्री आदि एक प्रकार से हाथी के दिखाने वाले दांत की भांति हैं क्योंकि इनको केवल बाहरी सियासत से बातचीत आदि करने के लिए बनाया जाता है।  ये ही किसी भी मुद्दे की व्याख्या करने के माध्यम हैं। इनको पता है कि यूनियन २ की गतिविधियां आतंक की सिद्ध हो रही हैं परन्तु वह झूंठ बोल बोल कर इस की रक्षा करते रहते हैं।  व उनको राजनीतिक सुरक्षा भी देते हैं। पाकिस्तान गणतंत्र होते हुए भी यहाँ पर चुनाव द्वारा चुने गए प्रधानमन्त्री की वो वैल्यू व स्ट्रेंथ नहीं जो यूनियन २ की है।  

यूनियन ३ यूनियन २ की रक्षा व मदद करता है तथा यूनियन २ यूनियन ३ की।  परन्तु सभी क़ायदे क़ानून व नियम बनाने वाला तो यूनियन २ व वास्तविक रूप देने वाला यूनियन १ ही है।  यूनियन ३ देश की रक्षा के लिए है तथा यूनियन २ पूरी दुनियाँ में पाकिस्तान की हुकूमत लाने के लिए।  इसी लिए यह यूनियन अफगानिस्तान, अमेरिका, ईरान, भारत आदि देशों में अपने फिदाईन सैनिक (नौकरी पाने वाले) तैयार करके भेजता है।  जिससे वे इन देशों को अपने अधीन कर सकें।  

अपने देश भारत को ही देख लो जैश ए मुहम्मद का मालिक मसूद अज़हर भारत का मालिक बनने के लिए अपनी सेना पाकिस्तान में बैठकर तैयार करता है।  जैश ए मुहम्मद का मतलब है - मुहम्मद की सेना। उसका उद्देश्य है कि पहले कश्मीर को अपने क़ब्ज़े में करके, कश्मीर को केंद्र बनाकर आगे की कार्यवाहियां करेगा और वह एक दिन लाल किले पर पाकिस्तान का झंड फहराएगा।  उसके मनसूबे इतने ऊँचे हैं।  ये संस्थाएं यूनाइटेड नेशंस की चोरी चोरी अपने कार्यों को अंजाम दे रही हैं।  कश्मीर के नवयुवकों को नौकरी का भुलाम्बा देकर वह कश्मीर के मुसलामानों में इतना ज़हर भर रहा है कि अल्लाह के नाम पर, जिहाद के नाम पर उनमें से कुछ को तनख्वाह शुदा फिदायीन बना देता है।  वो यह भूल गया की कश्मीर हरी सिंह नलवे का था और भारत हम आर्यों का पहले ही से रहा है।  वे फिदायीन आतंक फैला कर भारत को मजबूर करना चाह रहे हैं कि भारत इन आतंकियों के लिए कश्मीर को फ्री छोड़ दे।  ऊपर से धारा ३७०। यह लश्कर कश्मीर को पकिस्तान का अंग बनाकर पुरे भारत पर पकिस्तान का कब्ज़ा करवाने का नापाक मनसूबे लिए बैठा है।  बल्कि इस लश्कर का असली उद्देश्य ही भारत विजय है, पकिस्तान के लिए।  आतंकी हमले का उद्देश्य होता है कब्ज़ा, परन्तु भारतीय सेना, सी अर पी ऍफ़ व पुलिस इतनी मज़बूत व सतर्क है कि हर जगह, हर बार उनका नापाक मंसूबा नाकाम हो जाता है।  और उड़ जाती है कि आतंक फैलाया गया था ।  परन्तु ये आतंक नहीं फैलाना चाहते बल्कि कब्ज़ा करना चाहते हैं।  लेकिन वह कब्जे की कोशिश हर बार आतंकी घटना मात्र बन कर रह जाती है, हमारे सुरक्षा बलों की बहादुरी के कारण।  

वास्तव में पाकिस्तान में उस संगठन के लीडर से लेकर गाज़ी व अन्य बी व सी लेवल के आतंकियों तक सभी सदस्य इस संस्था (लश्कर) के सैनिक हैं। 

इसी प्रकार अलग अलग देशों को पकिस्तान के द्वारा जीते जाने के उद्देश्य से अलग अलग लश्कर (संस्थाएं) बनी हुई हैं पाकिस्तान में। 

भाइयों बहनों! क़ुरआन के अनुसार ये लश्कर (आतंकवादी संस्थाए, पाकिस्तान में) पूरी दुनियां में पाकिस्तान की हुकूमत लाना चाहते हैं या ये कहो कि मुसलमानी हुकूमत।  

गुरुदेव ब्रह्मचारी कृष्ण दत्त जी महाराज (श्रृंगी ऋषि) ने १९८७ से पहले ही एक प्रवचन में भविष्यवाणी करते हुए कहा कि यह धर्म २१ वीं सदी के प्रारम्भ के काल में समाप्त हो जायेगा मात्र पुस्तक ही बचेंगी।  और  २०२० के आसपास वह समय आ गया है। यह कार्य आर्य समाज विचारधारा के माध्यम से होना है और अवश्य ही होगा।  ॐ।

वेद कहता है कि वैद्यों को नमन , अध्यापकों को नमन, नेताओं को नमन, साधुओं को नमन, किसानों को नमन, वकीलों को नमन, जवानों को नमन, व्यापारियों को नमन यहाँ तक कि दुष्टों को भी नमन परन्तु दुष्टों को हाथ जोड़कर नहीं डंडे से नमन।  अर्थात दुष्टों को दंड दिए बगैर छोड़ना नहीं चाहिए।  इन आतंकवादियों को गोलियों से नमन।  

इनका इलाज मात्र गोली है।  ॐ शांति: शांति: शांति:। 

वन्दे मातरम।  भारत माता की जय।

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