सभी रीडर्स सोचते होंगे कि सम सामायिक विषयों पर आप कुछ नहीं लिखते आज की पोस्ट इसी विचार से लिखी गयी है।
8 नवम्बर 2016 की नोटबंदी रात आठ बजे उदघोषित हुई परन्तु लगभग एक वर्ष पहले ही इस विषय में उद्घोषणा कर दी गयी थी कि यदि किसी के पास काला धन है तो उसे अपने अकाउंट में जमा कर देवें। जैसा कि एक वीडियो में मोदी जी खुद कह रहे थे मन की बात में।
१००० व ५०० के नोटों का विमुद्रिकरण हमारे देश के लिए एक सुखद भविष्य को लेकर आएगी ऐसा पूर्वानुमान लगाकर यह प्रक्रिया की गयी थी।
नोटेबंदी से दुःख आम जनता को हुआ तो परन्तु यह क्षणिक दुःख था परन्तु इस क्षणिक दुःख को उठाने के बदले दुष्ट, भ्रष्टाचारियों व आतंकवादियों की नीदें उड़ गयीं। इस बात को हम नकार नहीं सकते।
आतंकवादियों पर पकिस्तान में छपी भारतीय मुद्रा १००० व ५०० के नोटों के रूप में हुआ करती थी जिससे वे अपना खाना, पीना व अपनी आपराधिक गतिविधियों को भली भाँति अंजाम दे सकें। नोटबंदी से पाकिस्तान में छपी भारतीय मुद्रा, आतंकवादियों का धन, भारत के मार्केट में उतारी नकली करेंसी, भ्रष्टाचारियों और रिश्वतखोरों पर एकत्रित जमा काला धन जो अधिकतम बड़े नोटों के रूप में था ८ नवम्बर २०१६ को ८ बजे के बाद वहीँ के वहीँ डैड हो गया।
और इसके फल स्वरुप आम जनता को लाइन में लगने का कष्ट सहना पड़ा, कई दिनों तक। मेरे पास भी १००० के दो नोट और ५००-५०० के तीन नोट कुल ३५०० रुपये थे। मैंने भी कई दिनों बाद अपने खाते में जमा किये।
आम आदमी को नोटबंदी से कुछ किल्लत अवश्य उठानी पड़ी परन्तु इसका फल इतना महान हुआ कि आतंकवादी निःसहाय हो गए कुछ देश द्रोहियों ने उनकी सहायता अवश्य की होगी। देखो! एक खुंखार दुष्ट को माफ़ करना, उसे सहायता देना, बदले में बहुत से अन्य निरीह लोगों के साथ अन्याय व हिंसा कहलायेगा जिनको वे लोग निकट भविष्य में अपना ग्रास बनाने जा रहे हों। इसलिए ऐसे लोगों को यथोचित भरपूर दंड देना व मृत्यु दण्डादि देना भी अहिंसा का ही एक अंग है। अर्थात आप ने एक को मारकर अन्य अनेक भविष्य के पीड़ितों के साथ अहिंसा की। तो यह एक अहिंसा ही है।
वैद्यराजों को नमन, गुरुओं को नमन, वकीलों को नमस्ते, नेताओं को भी नमस्ते, किसानों को नमस्ते, साधुओं को नमस्ते व सिंहों को भी नमस्ते व दुष्टों को भी नमस्ते भाई सभी को नमस्ते। परन्तु दुष्टों को हाथ जोड़कर नहीं, करबद्ध नहीं, डंडे से नमस्ते। यह भी वेद का एक आदेश है भाइयों बहनों! और अहिंसा भी।
आतंकियों के धन के साथ, आतंकी देश (पकिस्तान) में छपी भारतीय मुद्रा भी डैड हो गयी। इन लोगों की फ्यूचर प्लान पर पानी फिर कर रह गया।
आज मोदीराज में आतंकी हमलों की संख्या नगण्य है। प्यारे भाइयों बहनों! इस प्रकार यह नोटबंदी देश हित पर आधारित थी। भला जो नोटबंदी जैसी घटना को भी भ्रष्टाचार कहते हैं वे देशद्रोही और राक्षस क्यों न माने जाएँ। यदि किसी महापुरुष के विषय में तथ्य को बिना जाने, परखे हम कुछ भी कह देते हैं तो उससे हमारे अपने ही पुण्य क्षीण होते हैं। अपना ही आत्म बल नष्ट होता है। अतः किसी का विरोध बिना तथ्य को परखे मात्र अनुमान के आधार पर करना कोई उचित बात नहीं।
नोटबंदी ही है, और विदेशों में बनाये गए समकालीन पी० एम० के भारत के लाभ हेतु सम्बन्ध ही हैं कि आज यू०एन०ओ० में चीन, फ़्रांस, रूस, ब्रिटेन व अमेरिका के साथ साथ भारत भी इस आर्गेनाईजेशन का सदस्य है। वोट (१८७/१९० ) द्वारा यह एक अस्थाई सदस्य है। इसमें कुल १५ सदस्य होते हैं जिसमें पाँच स्थाई और १० अस्थायी सदस्य होते हैं जिन्हेँ वोट के द्वारा चुना जाता है।
UNO एक तरह से इंटरनेशनल असेंबली है जो शान्ति व नियम बनाने का कार्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर करती है। उसका मेम्बर बनकर हमारा देश अंतर्राष्ट्रीय कानून व नियमों में भी बनाने व पास करने का अधिकार रखता है। तो भाई यह सब मोदी जी की अथक कर्मशीलता, लगन, बुद्धि व देश हित की भावना के कारण ही है।
सही को ग़लत और ग़लत को सही कहने वाला मुर्ख है जो अपने को डाल पर बैठा कर डाल की लकड़ी ही काट रहा है मात्र और कुछ नहीं।
नोटबंदी वह हथियार था जो शुरू में दुःख व बाद में अथाह सुख का हेतु हुआ। धन्यवाद देता हूँ मैं नोटबंदी का निर्णय लेने वाले प्रधानमन्त्री जी और उनके सहयोगियों को।
आज हमारी सेना पर आधुनिक हथियार हैं. भारतीय सेना दुनिया की लिस्ट में चौथे नंबर पर है। देश की सुरक्षा तो अनिवार्य थी वरना देश ही न रहता तो फिर आम नागरिक का जीवन ही कहाँ बचता। देश पर आने वाले संकट को रोका गया है इन पांच सालों में। अर्थ व्यवस्था में भी भारत सातवेँ नंबर पर आ चुका है। जिस संविधान में गाँव के लिए, किसानों के लिए कोई कानून, कोई विधान न था उन गाँवों के लिए भी बहुत कुछ किया। भाई गाँव के लिए १० काम करने थे मोदी जी को चलो एक तो किया। हम नहीं मानते कि ९ काम नहीं किये हम मानते हैं कि एक काम तो किया पुरानी सरकार तो गांव को कुछ मानती ही नहीं थी। धन्य है निस्वार्थ देश भक्ति मोदी जी की।
जय जवान जय किसान मोदी जी के कर्म में है।
आपका ब्रह्मचारी अनुभव आर्य
और इसके फल स्वरुप आम जनता को लाइन में लगने का कष्ट सहना पड़ा, कई दिनों तक। मेरे पास भी १००० के दो नोट और ५००-५०० के तीन नोट कुल ३५०० रुपये थे। मैंने भी कई दिनों बाद अपने खाते में जमा किये।
आम आदमी को नोटबंदी से कुछ किल्लत अवश्य उठानी पड़ी परन्तु इसका फल इतना महान हुआ कि आतंकवादी निःसहाय हो गए कुछ देश द्रोहियों ने उनकी सहायता अवश्य की होगी। देखो! एक खुंखार दुष्ट को माफ़ करना, उसे सहायता देना, बदले में बहुत से अन्य निरीह लोगों के साथ अन्याय व हिंसा कहलायेगा जिनको वे लोग निकट भविष्य में अपना ग्रास बनाने जा रहे हों। इसलिए ऐसे लोगों को यथोचित भरपूर दंड देना व मृत्यु दण्डादि देना भी अहिंसा का ही एक अंग है। अर्थात आप ने एक को मारकर अन्य अनेक भविष्य के पीड़ितों के साथ अहिंसा की। तो यह एक अहिंसा ही है।
वैद्यराजों को नमन, गुरुओं को नमन, वकीलों को नमस्ते, नेताओं को भी नमस्ते, किसानों को नमस्ते, साधुओं को नमस्ते व सिंहों को भी नमस्ते व दुष्टों को भी नमस्ते भाई सभी को नमस्ते। परन्तु दुष्टों को हाथ जोड़कर नहीं, करबद्ध नहीं, डंडे से नमस्ते। यह भी वेद का एक आदेश है भाइयों बहनों! और अहिंसा भी।
आतंकियों के धन के साथ, आतंकी देश (पकिस्तान) में छपी भारतीय मुद्रा भी डैड हो गयी। इन लोगों की फ्यूचर प्लान पर पानी फिर कर रह गया।
आज मोदीराज में आतंकी हमलों की संख्या नगण्य है। प्यारे भाइयों बहनों! इस प्रकार यह नोटबंदी देश हित पर आधारित थी। भला जो नोटबंदी जैसी घटना को भी भ्रष्टाचार कहते हैं वे देशद्रोही और राक्षस क्यों न माने जाएँ। यदि किसी महापुरुष के विषय में तथ्य को बिना जाने, परखे हम कुछ भी कह देते हैं तो उससे हमारे अपने ही पुण्य क्षीण होते हैं। अपना ही आत्म बल नष्ट होता है। अतः किसी का विरोध बिना तथ्य को परखे मात्र अनुमान के आधार पर करना कोई उचित बात नहीं।
नोटबंदी ही है, और विदेशों में बनाये गए समकालीन पी० एम० के भारत के लाभ हेतु सम्बन्ध ही हैं कि आज यू०एन०ओ० में चीन, फ़्रांस, रूस, ब्रिटेन व अमेरिका के साथ साथ भारत भी इस आर्गेनाईजेशन का सदस्य है। वोट (१८७/१९० ) द्वारा यह एक अस्थाई सदस्य है। इसमें कुल १५ सदस्य होते हैं जिसमें पाँच स्थाई और १० अस्थायी सदस्य होते हैं जिन्हेँ वोट के द्वारा चुना जाता है।
UNO एक तरह से इंटरनेशनल असेंबली है जो शान्ति व नियम बनाने का कार्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर करती है। उसका मेम्बर बनकर हमारा देश अंतर्राष्ट्रीय कानून व नियमों में भी बनाने व पास करने का अधिकार रखता है। तो भाई यह सब मोदी जी की अथक कर्मशीलता, लगन, बुद्धि व देश हित की भावना के कारण ही है।
सही को ग़लत और ग़लत को सही कहने वाला मुर्ख है जो अपने को डाल पर बैठा कर डाल की लकड़ी ही काट रहा है मात्र और कुछ नहीं।
नोटबंदी वह हथियार था जो शुरू में दुःख व बाद में अथाह सुख का हेतु हुआ। धन्यवाद देता हूँ मैं नोटबंदी का निर्णय लेने वाले प्रधानमन्त्री जी और उनके सहयोगियों को।
आज हमारी सेना पर आधुनिक हथियार हैं. भारतीय सेना दुनिया की लिस्ट में चौथे नंबर पर है। देश की सुरक्षा तो अनिवार्य थी वरना देश ही न रहता तो फिर आम नागरिक का जीवन ही कहाँ बचता। देश पर आने वाले संकट को रोका गया है इन पांच सालों में। अर्थ व्यवस्था में भी भारत सातवेँ नंबर पर आ चुका है। जिस संविधान में गाँव के लिए, किसानों के लिए कोई कानून, कोई विधान न था उन गाँवों के लिए भी बहुत कुछ किया। भाई गाँव के लिए १० काम करने थे मोदी जी को चलो एक तो किया। हम नहीं मानते कि ९ काम नहीं किये हम मानते हैं कि एक काम तो किया पुरानी सरकार तो गांव को कुछ मानती ही नहीं थी। धन्य है निस्वार्थ देश भक्ति मोदी जी की।
जय जवान जय किसान मोदी जी के कर्म में है।
आपका ब्रह्मचारी अनुभव आर्य
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