शुक्रवार, 8 अगस्त 2014

निष्काम कर्म

निष्काम कर्म 
 
महाराजा कृष्ण ने अर्जुन से कहा था "हे अर्जुन! तू आज मुझे प्राप्त हो।  जो भी कार्य करना है वह निष्काम कर। " इसकी व्याख्या यह है कि जिज्ञासु जब गुरु के पास जाता है तो गुरु कहता है कि हे बालक! यदि तुझे जिज्ञासु बनना है तो जो तेरे पास है वह मुझे दे।  मेरे समीप होकर और अर्पण कार्य कर।  इस प्रकार गुरु-शिष्य के सम्बन्ध के नाते कृष्ण ने यहीं कहा था कि तुझे महान कार्य करना है, महान बनना है तो अपने जीवन की सभी शाकल्य योजनाएं और संकल्प विकल्प मेरे अर्पण कर और निष्काम कार्य कर।  आज जिनका तू मोह कर रहा है वे तो पूर्व ही नष्ट हो चुके हैं।  ये आज नहीं तो कल अवश्य ही नष्ट हो जायेंगे।  इन आदेशों को मान कर अर्जुन ने युद्ध किया। 

सर्वज्ञता 

भगवान कृष्ण ने बार बार कहा है कि "मैं सर्वज्ञ हूँ, सर्वशक्तिमान हूँ। " इसका अभिप्राय यह है कि जिन गुरुओं से उस विद्या को जाना है, जिससे आत्म तत्व को जाना जाता है वह गुरु कहा करता है कि मैंने सब कुछ जाना है।  परमात्मा ने मुझे वह शक्ति प्रदान की है कि तेरे पापों को अवश्य ही नष्ट कर दूंगा। 

कृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि मैं सर्व प्रकृति को जानता हूँ । परन्तु मुझे तो वह कर्म करना है जिससे यह संसार ऊँचा बने।

(ब्र ० कृष्ण दत्त जी के प्रवचनों से)


आपका अपना 
अनुभव शर्मा 'भवानन्द'

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