अब, मैं संसार की शुरुआत के बारे में आपको बताना चाहता हूँ, पहले मैं आपसे ब्रह्माण्ड कि समयावधि के बारे में बताता हूँ. जैसा कि आपको पता है कि ब्रह्माण्ड को बने हुए १,९७,२९,४९,११0 वर्ष बीत चुके हैं। तथा जीवन की शुरुआत हुए १,९६,0८,५३,११0 वर्ष बीत चुके हैं। यह ७वें मन्वन्तर का २८ वां कलयुग चल रहा है. इसकी शुरुआत महाभारत के बाद हुई है. इस घटना को लगभग ५५०० वर्ष बीत गए हैं.
कलयुग का समय ४,३२,००० वर्ष होता है और द्वापर के लिए यह कलयुग से दुगना, त्रेता के लिए तिगुना तथा सतयुग के लिए कलयुग की समयावधि का चार गुना होता हैं. इस तरह हम कह सकते हैं कि कुल चार युग होते हैं और हरेक युग में कुछ बहुत ज्ञानवान और शक्तिमान आत्माएं जैसे राम, कृष्ण, शंकराचार्य व दयानंद आदि संसार की स्थिति सुधारने के लिए जन्म लेती हैं. राम त्रेता के लिए, हरिश्चंद्र सतयुग के लिए और कृष्ण द्वापर के लिए उत्पन्न आत्माएं हैं. इन युगों में और भी बहुत से महापुरुष जो कि अपने व्यव्हार में बहुत चमत्कारिक और ज्ञानवान थे, पैदा हुए लेकिन इन को सभी अच्छी तरह जानते हैं इसलिए मैंने इन के नाम बताए. इन चारों युगों का समूह चतुर्युगी कहलाता है.जो कि (१+२+३+४)x कलयुग के समय के बराबर होता है. १४ मन्वंतर हुआ करते हैं और हरेक मन्वंतर में १ मनु जन्म लिया करता है. वे मनु समाज कि पद्यति का निर्माण किया करते हैं. इस समय सातवाँ मन्वंतर वैवस्वत मन्वन्तर चल रहा है. ७१ चतुर्युगियों से एक मन्वंतर बनता है. इस ब्रह्माण्ड कि शुरुआत को एक अरब सतानवे करोड़ वर्ष से अधिक हो गया है. इस तरह से हम कह सकते हैं कि १००० चतुर्युगियों का काल ही संसार की अवधि है. इसके बाद भगवान इस संसार को समाप्त कर देते हैं.
सारे आकाश में अँधेरा ही अँधेरा था जहाँ अब हम ब्रह्माण्ड को देख रहे हैं. भगवान ने सोचा कि अब मुझे पूर्व की भांति पुनः संसार को बनाना चाहिए जिससे मैं इस संसार में प्रसिद्ध होऊं. एक महत्तत्व उस की और से चला जिससे प्रकृति के इस अन्धकार में भूचाल मच गया जहाँ पर पहले त्रसरेणु से भी छोटे प्रकृति के सूक्ष्म कण थे. इस तरह एक नेबुला बन गया. भगवान ने ध्यान के द्वारा उस नेबुले (हिरण्यगर्भ) को दो भागों में विभक्त कर दिया. और धीरे धीरे यह ब्रह्माण्ड आधुनिक रूप में आ गया. इस तरह हम कह सकते हैं कि ब्रह्माण्ड कि आयु ४,३२०,०००,००० वर्ष होती है.
जल्दी ही अगले ब्लॉग में आपसे फिर मिलते हैं.
धन्यवाद
आपका
अनुभव शर्मा
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