सोमवार, 8 अगस्त 2016

कुछ निर्देश

निर्देश 1.
रात के चौथे प्रहरों में एक दौलत लुटती रहती है।
जो जागत है सो पावत है जो सोवत है सो खोवत है।


निर्देश  2.
भगवान भजन करने को जो प्रातः काल उठ जाता है।
आनंद की वर्षा होती है जीवन में वह सुख पाता है।


-आदरणीय विश्वपाल जयन्त 'आधुनिक भीम, (भारत) की पुस्तक 'अनमोल हीरा' से साभार



यही बात ऋग्वेद में एक मन्त्र का अर्थ करते हुए स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने कही है -
 
निर्देश  3. 
ॐ जिम्हश्ये चरितवे मघोन्या भोगय इष्टये राय उ त्वम्
दभ्रं पश्यद्भ्य उर्विया विचक्ष उषा अजीगर्भुवनानि विश्वा।।
ऋग्वेद ।।मण्डल १ ।सूक्त ११३ ।मन्त्र ५ ।। 
 
भावार्थः  जो लोग रात्रि के चतुर्थ प्रहर उठकर शयन पर्यन्त समय को व्यर्थ नष्ट नहीं करते वे सुखों को प्राप्त होते हैं, अन्य नहीं।

तथा 
निर्देश  4. 
ॐ प्रति मे स्तोम मदितिरजगृभ्या त्सूनुं न माता हृद्यं सुशेवम् ।
ब्रह्म प्रियं देवहितं यदस्त्यहम् मित्रे वरुणे यन्मयोभुः ।। 

ऋग्वेद ।।मण्डल 5 ।सूक्त 42 ।मन्त्र 2 ।। 

भावार्थः  अच्छे प्रकार स्तुत परमात्मा अपने उपासक पर ऐसे कृपा करता है जैसे माता अपने नवजात शिशु पर। 
 
 
आपका अपना 
ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा
 

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