शनिवार, 2 जुलाई 2016

योग विद्या व वेद

योगी लोग मधुर प्यारी वाणी से योग सीखने वालों को उपदेश करें और अपना सर्वस्व योग ही को जानें तथा अन्य मनुष्य वैसे योगी का सदा आश्रय किया करें।यजुर्वेद।।७।११।।


हे योग की इच्छा करने वाले ! जैसे शमदमादि गुणयुक्त पुरुष योगबल से विद्याबल की उन्नति कर सकता है, वही अविद्या रूपी अंधकार का विध्वंस करने वाली योगविद्या सतजनों को प्राप्त होकर जैसे यथोचित सुख देती है वैसे आपको दे।यजुर्वेद।।७।१२।।



शमदमादिगुणों का आधार योगाभ्यास में तत्पर योगी-जन अपनी योगविद्या के प्रचार से योगविद्या चाहने वालों का आत्मबल बढ़ाता हुआ सब जगह सूर्य के सामान प्रकाशित होता है। यजुर्वेद।।७।१३।। 
आपका अपना 
अनुभव शर्मा

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