शुक्रवार, 15 दिसंबर 2017

पंडित कौन?

विदुर नीति।।१।।२०-३४।।



जिन्हें अपने वास्तविक स्वरुप का ज्ञान है, जो धर्मात्मा हैं, जो दुःख सहन कर लेते हैं, जो धर्म पालन करते हैं तथा जो लालच में सही रास्ते से नहीं भटकते, वे ही पंडित अर्थात विद्वान् कहलाते हैं।


जो अच्छे कर्मों को करता है तथा निन्दित बुरे कर्मों से बचता है, जो आस्तिक  श्रद्वालु है, वही पंडित है।  पंडित के यही सदगुण उसकी पहचान हैं।  यही उसके लक्षण हैं।

जो पुरुष क्रोध, प्रसन्नता, लज्जा, उद्दंडता तथा अपने आप को पूज्य समझने के अभिमान के वश में होकर अपने मार्ग से विचलित नहीं होता, वही पंडित कहलाता है।

जिसकी कार्य-तथा विचार-विमर्श की भनक किसी दूसरे को नहीं  होती, वरन कार्य पूरा हो जाने पर ही लोगों को उसकी कार्य योजना का पता लगता है, वही पंडित है।

जिस व्यक्ति के कार्य में सर्दी, गर्मी, भय, मैथुन, अमीरी-गरीबी आदि बातें कोई बाधा नहीं पहुंचा सकतीं, अर्थात इनके कारण वह व्यक्ति अपना काम नहीं रोकता, वही पंडित कहलाता है।

जो व्यक्ति सांसारिक होते हुए भी धर्म और अर्थ का पालन करता है तथा काम और अर्थ में से अर्थ को ही चुनता है, पंडित कहलाता है।

जो व्यक्ति अपनी शक्ति के अनुसार काम करना चाहता है और शक्ति के अनुसार ही काम करता है तथा किसी का भी अपमान नहीं करता, वही पंडित है।

जो बात को जल्दी समझ जाता है फिर भी ध्यान से देर तक बात सुनता है।  बात सुनकर उस पर आचरण करता है।  जब तक उससे कोई न पूछे तब तक वह दूसरे के विषय में व्यर्थ कुछ बात नहीं बोलता।  वही पंडित है।

जो व्यक्ति अप्राप्य वस्तु के लिए बेचैन नहीं होता, नष्ट हुई वस्तु के लिए शोक नहीं करता तथा विपत्ति में भी घबराता नहीं, वही पंडित है।

जो सोच विचार कर निश्चय के बाद काम करता है और आरम्भ करने के बाद काम को अधूरा नहीं छोड़ता, समय व्यर्थ नहीं बिताता , जिसने अपनी इन्द्रियों को वश में कर लिया है, वहीँ पंडित कहलाता है।

हे भारत श्रेष्ठ! जो व्यक्ति अच्छे और शिष्ट जनों के योग्य और भलाई के काम करने में लगे रहते हैं, अपनी भलाई अथवा हित करने वाले की निंदा नहीं करते, वे ही पंडित कहलाते हैं।

जो सम्मान मिलने पर बहुत खुश नहीं होता तथा अपमान होने पर दुखी नहीं होता, वरन गंगाजल के कुंड ले समान सुख-दुःख और मान-अपमान में समान रहता है। वही पंडित है।

जो व्यक्ति प्राणियों के तत्व के बारे में जानकारी रखता है, सभी कामों के करने के ढंग को जानता है , सभी मनुष्यों की परेशानियों को दूर करने के मार्ग जानता है, सभी प्राणियों को समझता है, वही पंडित है।

जो व्यक्ति विषय को अच्छी तरह समझ लेता हो, उसके सम्बन्ध में धाराप्रवाह बोलता हो, अपनी बात को अच्छी तरह समझा पाता हो, विद्वान् और तर्कशील तथा प्रतिभाशाली हो वही पंडित है।

जिसका शास्त्र (विषय) बुद्धि के अनुकूल हो अर्थात तर्कसंगत हो तथा उसका ज्ञान व प्रवृत्तियाँ शास्त्र के अनुसार हों, अर्थात वह शास्त्र के अनुकूल काम करता हो, जो कभी ग़लत रास्ते पर न जाता हो, अर्थात मर्यादा में रहता हो, वही पंडित कहलाता है।



आपका
ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा 

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