तीन प्रकार की वाणियां होती हैं जो कि कुतर्क से खंडन करने योग्य नहीं हैं।
इड़ा- स्तुति, प्रशंसा करने वाली
मही - पठन पाठन की प्रेरणा देने वाली
सरस्वती - ज्ञान, विज्ञान प्रकट करने वाली
चार प्रकार की वाणियां होती हैं जिनके द्वारा अपने विचार कहे जाते हैं।
बैखरी - इस वाणी में हम लोग उपदेश व वार्तालाप
मध्यमा -
पश्यन्ती - समाधि अवस्था में इस वाणी का प्रयोग होता है।
परा
इड़ा- स्तुति, प्रशंसा करने वाली
मही - पठन पाठन की प्रेरणा देने वाली
सरस्वती - ज्ञान, विज्ञान प्रकट करने वाली
चार प्रकार की वाणियां होती हैं जिनके द्वारा अपने विचार कहे जाते हैं।
बैखरी - इस वाणी में हम लोग उपदेश व वार्तालाप
मध्यमा -
पश्यन्ती - समाधि अवस्था में इस वाणी का प्रयोग होता है।
परा
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