रविवार, 29 मई 2016

सुविचार भाग 3

१. निम्न श्रेणी के लोगों के द्वारा विघ्नों के भय से कार्य आरम्भ नहीं किया जाता।  मध्यम श्रेणी के लोग कार्य आरम्भ करके विघ्नों द्वारा विरोध होने पर रुक जाता है।  जो उत्तम श्रेणी के लोग हैं वे विघ्नों के द्वारा बार - बार बाधा डाले जाने पर काम को बिना पूरा किये नहीं छोड़ते।  - भर्तृहरि 
जिस कार्य को भी करो पूर्णता से करो।  ब्रह्मचारी कृष्ण दत्त (पूर्व श्रृंगी ऋषि )

२. शरीर तीन प्रकार के होते हैं -
१. स्थूल २. सूक्ष्म ३. कारण 
१. यह २४ तत्वों से मिल कर बना  है - पांच ज्ञानेन्द्रियाँ, पांच कर्मेन्द्रियां, दस प्राण, मन, बुद्धि, चित्त एवं अहंकार।  
२. पांच ज्ञानेन्द्रियाँ, पञ्च तन्मात्राएँ (अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी व आकाश की), पांच प्राण, मन व बुद्धि। (१७)
३. मन व प्राण।  (२)


३. रूद्र कहते हैं जो रुलाने वाला है अर्थात प्राण। 
प्राण  दस होते हैं - प्राण, अपान , व्यान, उदान , समान , देवदत्त, धनञ्जय, कूर्म, कृकल व नाग। 
मृत्यु से पार होने को यम कहते हैं।  जो मृत्यु को विजय कर लेता है  उसे यमराज कहते हैं।
यमाम ब्रह्मा अज्ञान रूप अन्धकार को त्यागना ही मृत्यु को विजय करना है।


४. जल में प्रभु की ज्योति विद्यमान रहती है।  हे ज्योति स्वरुप मेरे अंतर में दिव्य ज्योति फैलाओ , कर्म योग का तत्व समझा कर नर तन सफल बनाओ।


. इस पृथ्वी पर जो कि सातवीं श्रेणी का स्वर्ग कहलाता है कर्म ही महान है।  व कर्मों के बिना काम व अर्थ सिद्ध नहीं होता है।  माना एक सदस्य शाम के समय भूखा घर आये और घर वाले उसे मात्र बातें और तर्क कुतर्क सुना कर उस से सोने को कहें तो यह उस के लिए दुश्वार होगा।  परन्तु यदि कर्म करके उसे भोजन बन कर दें तो उसे नींद स्वतः ही आ जाएगी।




 इस पोस्ट को अंग्रेजी में पढ़ें 



आपका अपना
ब्रह्मचारी अनुभव शर्मा

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